जवानियां लुटा रहा
ये कौन है, जो देश पे
जिन्दगानियां लुटा रहा
अपनी खुशी को छोड़ के
कुरबानियां जुटा रहा
जज़्बे में इनके दम हैं
माटी ही इक सनम है
माटी का कर्ज जान के
उधारियां चुका रहा
अपनी खुशी को छोड़ के
कुरबानियां जुटा रहा
सीने में इनके ललक है
खतरों की इनको भनक है
ऑंखों में ऑंखें डाल के
गुस्ताखियाँ जता रहा
अपनी खुशी को छोड़ के
कुरबानियां जुटा रहा
ये कौन है, जो देश पे
जवानियां लुटा रहा
ये कौन है, जो देश पे
जिन्दगानियां लुटा रहा
अपनी खुशी को छोड़ के
कुरबानियां जुटा रहा